2020 से 2024 के बीच स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम 1988 (NDPS Act) के तहत किए गए 16781 मामले दर्ज, 25446 आरोपियों को गिरफ्तार कर भेजा गया जेल
117 बड़े तस्करों की 52.79 करोड़ रुपये की कीमत की अवैध संपत्ति की गई जब्त
चंडीगढ़, 18 मार्च।
बिजेंद्र फौजदार.
हरियाणा के संसदीय कार्य मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि प्रदेश के नौजवान नशे के जाल में न फंसे और नशा तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा संकल्प नामक प्राधिकरण बनाया जाएगा। हरियाणा नशा मुक्त बने, यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता और संकल्प भी है। प्रदेश सरकार नशे की चुनौती से निपटने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति पर कार्य कर रही है। पहला, ड्रग तस्करों पर कठोर कानूनी कार्यवाही कर रही है, दूसरा, समाज, विशेषकर युवाओं को ड्रग्स के दुष्प्रभावों के प्रति सचेत करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं एवं तीसरा, ड्रग्स के आदी व्यक्तियों के इलाज और पुनर्वास की समुचित व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की समग्र प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए नशामुक्ति अभियान की सफलता के लिए पुलिस, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता (SEWA) एवं जनसंपर्क इत्यादि सभी संबंधित विभागों द्वारा निरंतर संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं।
मंत्री महीपाल ढांडा आज हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन के कुछ सदस्यों द्वारा हरियाणा में सिंथेटिक नशे के बढ़ते प्रभाव और नशीली दवाओं से बढ़ते खतरे से संबंधित लगाए गए एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। श्री महीपाल ढांडा ने कहा कि बड़े ड्रग तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस विभाग द्वारा गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। 2020 से 2024 के बीच स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ, अधिनियम 1988 (NDPS Act) के तहत 16781 मामले दर्ज किए गए और इनमें कुल 25446 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, इनमें से 1767 मुकदमें व्यावसायिक मात्रा के थे, जिनमें 3714 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। 117 बड़े तस्करों की 52.79 करोड़ रुपये की कीमत की अवैध संपत्ति जब्त की गई। उन्होंने बताया कि मादक दवाओं और मनः प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम, अधिनियम 1988 (PIT-NDPS Act 1988) के तहत अब तक कुल 65 आदतन तस्करों को निवारक हिरासत में लिया गया है इसके अलावा 6 अन्य मामले सरकार के विचाराधीन हैं। 100 बड़े तस्करों के 111 अवैध निर्माण को ढहाया गया है। इस अवधि में प्रतिबंधित दवाइयों की अवैध बिक्री के 969 मुकदमों में 1325 गिरफ्तारियां हुई और 100 केमिस्टों के लाइसेंस रद्द किए गए। इस साल में भी पुलिस नए संकल्प और ऊर्जा से ड्रग तस्करों पर नकेल लगाने के प्रयास में लगी है। उन्होंने बताया कि 2025 के जनवरी और फरवरी माह में NDPS अधिनियम के तहत 567 नए मामले दर्ज किए गए। जिनमें 888 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। सरकार सिंथेटिक ड्रग्स पर भी सख्ती बरत रही है, हालांकि 2020 से 2024 के बीच LSD, मेथ, एम्फेटामाइन, मेथडोन और MDMA की की अवैध सप्लाई पर सरकार सख्त कदम उठा रही है। केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से ड्रग सप्लाई चेन की बारीकी से निगरानी की जा रही है। पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को मादक पदार्थों से सम्बन्धित मामलों के अनुसंधान के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि भारत के उतरी क्षेत्रों में मादक पदार्थों की अंतरराज्यीय तस्करी को रोकने तथा राज्यों में आपसी तालमेल सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2018 में एक अंतर-राज्यीय ड्रग सचिवालय (ISDS) की स्थापना की गई है जिसका मुख्यालय पंचकूला में है। ये उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में तालमेल बैठाकर नशीली दवाओं की तस्करी करने वालों पर नजर रखता है। पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ के साथ समन्वय को और अधिक मजबूत किया गया है, जिससे राज्य की सीमाओं पर सख्त निगरानी रखी जा सके। राज्य में ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए अंतर्राज्यीय सीमा चौकियों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। प्रशिक्षित नारको डॉग्स की मदद से वाहनों और संदिग्ध व्यक्तियों की तलाशी की जा रही है। इससे नशे की तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के मामलों में दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में सरकार प्रभावी कदम उठा रही है। 2023 में कमर्शियल क्वांटिटी के मामलों में सजा दर 53.8 प्रतिशत थी जो 2024 में बढ़कर 71.27 प्रतिशत और इंटरमीडिएट क्वांटिटी मामलों में सजा की दर 49.48 प्रतिशत से बढ़कर 59.43 प्रतिशत हो गई है। मादक पदार्थों की व्यावसायिक मात्रा के मामलों को 'चिन्हित अपराध' में शामिल किया जाता है ताकि इनकी समयबद्ध सुनवाई सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने बताय़ा कि प्रदेश सरकार ने ड्रग्स के खिलाफ व्यापक जागरूकता अभियान चला रही है। 2024 में 2572 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 16.7 लाख लोगों ने भाग लिया। 12से 26 जून 2024 के भारत सरकार के 'नशा मुक्त भारत पखवाड़ा' के दौरान आयोजित जागरूकता कार्यक्रम से हरियाणा के 12.3 लाख लोग सीधे और 5.6 लाख लोग सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े और 67748 व्यक्तियों ने नशा न करने की प्रतिज्ञा ली । 'ड्रग फ्री हरियाणा अभियान के तहत हरियाणा के 7197 गांवों में से 3406 एवं 2095 वार्ड में से 809 नशामुक्त घोषित किए गए। जो नशे के एडिक्ट हैं उन्हें इलाज के माध्यम से लत को छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 'स्पोर्ट्स फॉर यूथ अभियान के अंतर्गत गांवों, स्कूलों वह अन्य शिक्षण संस्थानों में जागरूकता अभियान चला कर बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है 'नमक लोटा अभियान के माध्यम से ड्रग्स के छोटे विक्रेताओं को सामाजिक दबाव के द्वारा इस अवैध धंधे से बाहर आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। नाटिका के माध्यम से कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को ड्रग्स और गैंग एक्टिविटी से बचने एवं जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पुलिस डी.ए.वी पब्लिक स्कूल, अंबाला में स्थापित एजुकेशनल एस्केप रूम 'चक्रव्यूह के माध्यम से स्कूली बच्चों को सामूहिक गतिविधियों के जरिए ड्रग्स और गैंग एक्टिविटी से दूर रहने की सीख दी जा रही है। इस अवधारणा को अन्य स्कूलों तक ले जाने का सरकार का विचार है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आधारित 'नशामुक्त जीवन' बकेट चैलेंज को अब तक 35 लाख से अधिक व्यूज मिले हैं। इसमें प्रसिद्ध गायक, अभिनेता एवं सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। इसी प्रकार वर्ष 2025 में भी सरकार के द्वारा नशा मुक्त हरियाणा पखवाड़ा अभियान" चलाया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि नशामुक्ति केंद्रों की संख्या 2021-22 में 98 से बढ़ाकर 2024-25 में 130 कर दी गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में जनवरी माह में सिविल अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें नशे के प्रभावी उन्मूलन हेतु दिशा-निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भारत सरकार के ड्रग हेल्पलाइन नंबर 1033. 'मानस' पोर्टल एवं हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के हेल्पलाइन नंबर 90508-91508 पर ड्रग तस्करी की कारगर सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखते हुए उन्हें उचित इनाम देने की योजना बनायें जिससे कि लोग ड्रग तस्करों के खिलाफ सूचना देने के लिए आगे आए । मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि नशा मुक्ति की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत करने की योजना बनाएं। मंत्री श्री ढांडा ने कहा कि वे माननीय सदस्यों को विश्वास दिलाते हैं कि प्रदेश सरकार नशे की समस्या के समूल उन्मूलन और आमजन को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं सीएचसी अनुसार लिंगानुपात का करेंगे विश्लेषण – एसीएस सुधीर राजपाल
महिला एवं बाल विकास विभाग लिंगानुपात में और सुधार लाने के उद्देश्य से आईईसी गतिविधियों को दे बढ़ावा
जिन महिला सरपंचों के पास केवल बेटियां हैं, उन्हें लिंगानुपात में सुधार के लिए चलाए जाने वाले अभियानों में बनायें ब्रांड एंबेसडर
चंडीगढ़, 18 मार्च।
बिजेंद्र फौजदार.
हरियाणा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं (डीजीएचएस) को प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) अनुसार लिंगानुपात विश्लेषण करने के निर्देश दिए। इस संबंध में खराब प्रदर्शन करने वाले सीएचसी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
श्री सुधीर राजपाल आज यहां स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें जन्म के समय लिंगानुपात में और सुधार लाने के लिए लागू किए जा रहे विभिन्न उपायों की प्रगति की समीक्षा की गई। एसीएस ने इस चुनौती से निपटने के लिए एक केंद्रित, बहु-विभागीय दृष्टिकोण पर भी बल दिया।
बैठक में, श्री राजपाल ने महिला एवं बाल विकास विभाग को राज्य में लिंगानुपात को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों को बढ़ाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने लैंगिक समानता के महत्व और लिंगानुपात में सुधार की आवश्यकता के बारे में समुदायों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता वैन चलाने का सुझाव दिया। इसके अलावा, उन्होंने राज्य भर के सिनेमाघरों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पहल के बारे में लघु फिल्में दिखाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि बालिका के जन्म का जश्न मनाने के लिए “कुआं पूजा” जैसी प्रथाओं को भी बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजपाल ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भधारण की बेहतर ट्रैकिंग की आवश्यकता पर बल देते हुए निर्देश दिया कि प्रत्येक गर्भावस्था को प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल पर प्रथम तिमाही में पंजीकृत किया जाना चाहिए। यदि पंजीकरण नहीं हुआ है, तो संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से विशेष अनुमति लेकर ही इसकी अनुमति दी जानी चाहिए। गर्भधारण का पंजीकरण न करने में किसी भी लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
बीएएमएस चिकित्सकों की निगरानी के लिए आयुष विभाग को भी करें शामिल
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) केंद्रों का निरीक्षण करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे लिंग निर्धारण के अवैध कार्य में शामिल ऐसे केंद्रों पर छापेमारी को तेज़ करें। उन्होंने कहा कि बीएएमएस चिकित्सकों की निगरानी के लिए आयुष विभाग को भी शामिल किया जाना चाहिए।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग एमटीपी किट की ऑनलाइन/ऑफलाइन बिक्री की प्रगति रिपोर्ट सीएमओ के साथ साझा करें
एमटीपी किट की अवैध बिक्री पर लगाम लगाने के लिए श्री सुधीर राजपाल ने एफडीए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एमटीपी किट की ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री की प्रगति रिपोर्ट सीएमओ के साथ साझा करें। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एमटीपी किट केवल पंजीकृत स्थानों पर ही रखी जाएं।
श्री सुधीर राजपाल ने सुझाव दिया कि जिन महिला सरपंचों के पास केवल बेटियां हैं, उन्हें लिंग अनुपात सुधारने के लिए चलाए जाने वाले अभियानों में ब्रांड एंबेसडर के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इस पहल के लिए प्रत्येक जिले से पांच-पांच ऐसे सरपंचों की पहचान करने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, उन्होंने 104 हेल्पलाइन के माध्यम से केवल एक बेटी वाले परिवारों के लिए परामर्श सत्र आयोजित करने के लिए भी कहा।
बैठक में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. मनीष बंसल, महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मोनिका मलिक, पंचकूला की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुक्ता कुमार तथा स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा एफडीए विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।