
फरीदाबाद.12 अक्टूबर।
सुनील कुमार जांगड़ा.
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीयअध्यक्ष एवं देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने सभी देशवासियों को दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सनातन धर्म में विजय दशमी का विशेष महत्व है इस दिन सभी सनातनी जगह- जगह रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद के पुतले जलाकर दशहरा मनाते हैं और अधर्म पर धर्म की विजय का शंखनाद करते हैं।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि राम और रावण दोनों ही शिव के उपासक थे और दोनों एक ही राशि के थे लेकिन फिर भी दोनों की विचारधाराएं और नीतियां अलग-अलग थी क्योंकि रावण की साधना भोगविलास तथा लोगों को दुःख देने वाली थी जबकि राम की साधना न्याय संगत और समाज कल्याण की थी।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आज कितने रावण कितनी स्त्रियों एवं बहन बेटियों की अस्मत से खेल रहे हैं और उनको दर्दनाक मौत देकर मार रहे हैं। लेकिन उनका कुछ नहीं हो पा रहा है। रावण का पुतला फूंकने से कुछ नहीं होगा जब-तक अपने अन्दर के रावण को नहीं मारोगे। हमें बहन बेटियों के प्रति पनप रहे भेदभाव और असमानता को दूर करना होगा।अपनी बहन बेटी तो अपनी है और दूसरे की हवश का शिकार हैं यह कहां का न्याय है।
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि रावण दहन से सीख मिलती है कि बुराई करने वाले चाहे कितने भी ताकतवर, भामाशाह, विद्वान हो अंत में उन्हें
हारना ही पड़ता है। रावण को अपने ज्ञान और बल पर बहुत अभिमान था इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने लंकापति रावण का अभियान चकनाचूर कर दिया।