नई दिल्ली 12 मार्च।
हरियाणा उदय (वंदना)
लेखक एवं पूर्व आईपीएस सुरेश कुमार शर्मा ने अविस्मरणीय सहयोग पर आधारित लिखा कि
जब पहली बार दिल्ली ट्रेन में चढ़ा। सहयात्रियों से पूछने लगा,*”रेवाड़ी” कब आएगा,मुझे उतरना है।”
सहयात्रियों ने बताया,”भाई,ये गाड़ी दिल्ली से जयपुर जा रही फास्ट ट्रैन है। रेवाड़ी से गुजरेगी मगर रुकेगी नहीं।”
मैं घबरा गया।
सहयात्रियों ने समझाया,”घबराओ नहीं। रेवाड़ी में ये ट्रेन रोज स्लो हो जाती है।तुम एक काम करो,रेवाड़ी में जैसे ही ट्रेन स्लो हो,तुम दौड़ते हुए प्लेटफॉर्म पर उतरना और फिर बिना रुके थोड़ी दूर तक,ट्रेन जिस दिशा में जा रही है,उसी दिशा में दौड़ते रहना, इससे तुम गिरोगे नहीं।
रेवाड़ी आने से पहले सहयात्रियों ने मुझे गेट पर खड़ा कर दिया।रेवाड़ी आते ही सिखाए अनुसार मैं प्लेटफार्म पर कूदा और कुछ अधिक ही तेजी से दौड़ गया।इतना तेज दौड़ा कि अगले कोच तक जा पहुँचा।उस दुसरे कोच के यात्रियों में से,किसी ने मेरा हाथ पकड़ा तो किसी ने शर्ट पकड़ी और मुझे खींचकर ट्रेन में चढ़ा लिया।ट्रेन फिर गति पकड़ चुकी थी।सहयात्री मुझ से कहने लगे,
भाई,तेरा नसीब अच्छा है जो,ये गाड़ी तुझे मिल गई।ये फास्ट ट्रेन है,”रेवाड़ी” में तो रुकती ही नहीं।