
भारत/नाटिंघम,यू.के. 31 मई।
गौरीश.
गौभक्त श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी
नाटिंघम,यू.के में भगवद् चिंतन के दौरान बोले कि हमें अपनी पीठ को सदैव मजबूत रखना चाहिए क्योंकि जीवन में धोखा और शाबाशी दोनों पीठ पीछे ही मिलती है। जब शाबाशी मिलेगी तो पीठ को थपथपाया जायेगा और जब धोखे का वार होगा तो वो भी पीठ पर ही होगा। धोखा सहना तो असहनीय होता ही है लेकिन शाबाशी मिलने पर उसको न पचा पाना भी हमारे प्रगती पथ में बड़ी बाधा बन जाता है। पीठ मजबूत होना अर्थात हमारी संकल्प शक्ति का दृढ़ होना है।
हमारी संकल्प शक्ति जितनी दृढ़ रहेगी, हमारे आत्मबल का स्तर भी उतना ही ऊँचा रहेगा और हमारे आत्मबल का स्तर जितना उच्च होगा, हमारी पीठ उतनी ही मजबूत बनी रहेगी। पीठ पर लगा आत्मबल का कवच ही जीवन की अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों से हमारी रक्षा करता है। विषमता और अहमता दोनों को पचाने की शक्ति ही जीवन के कर्मपथ में विजयी बनाती है।