गीता महायज्ञ में महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज सहित संत समाज ने डाली आहुतियां
देश – विदेश से संत महात्मा कुरुक्षेत्र आकर श्रीअवधूत आश्रम में विश्व कल्याण के लिए गीता महायज्ञ में डाल रहे आहुतियां।
कुरुक्षेत्र 10 दिसंबर।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
श्री अवधूत आश्रम कुरुक्षेत्र में चल रहे गीता महायज्ञ में विश्व कल्याण के लिए आहुतियां डालने के उपरांत संत महामंडल की संरक्षक महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज ने कहा कि यज्ञ देवताओं की प्रसन्नता और सर्व कल्याण की भावना से किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यज्ञ के द्वारा जो आहुतियां डाली जाती है उसके द्वारा धुआं जो आकाश की और जाता है उससे बादल बनते है जल वृष्टि होती है, जिससे अन्न की शुद्धि होती है और उस अन्न के माध्यम से मन की शुद्धि होती है, यज्ञ से पर्यावरण शुद्ध होता है।
महंत बंशी पुरी ने कहा कि गीता महायज्ञ से विष्णु जी की प्राप्ति होती है, लोक कल्याण के लिए यज्ञ की परंपरा कल्याणकारी होती है।
परमहंस ज्ञानेश्वर ने कहा कि गीता व्यक्तित्व निर्माण का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। व्यक्ति के अंदर जिस प्रकार के गुणों का परिमार्जन होना चाहिए, उन सब की व्याख्या श्रीमद् भागवत गीता में की गई है।
षडदर्शन साधुसमाज के मुख्यालय श्रीअवधूत आश्रम पिहोवा मार्ग नरकातारी कुरुक्षेत्र पर संत समाज द्वारा गीता महोत्सव पर विश्व कल्याण सुख शांति के लिए गीता महायज्ञ में आहुतियां डाली जा रही है। जिसमें संत महामंडल की अध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्यागिरि जी महाराज, षडदर्शन साधुसमाज के संरक्षक महंत बंशी पुरी जी महाराज के मार्गदर्शन में अध्यक्ष परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज के सानिध्य में महंत गुरुभगत सिंह, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, डा. गार्गी ब्रह्मवादिनी, महंत जनार्दन दास, प्रो. बाबा चेतन मुनि,महंत सुनील दास, महंत विशाल दास, महंत स्नेह दास, गोस्वामी किशोरी दास, स्वामी अनिल, स्वामी सतपाल, स्वामी धर्मेंद्र मिश्रा, स्वामी लखन पुरी, महंत महावीर दास इत्यादि श्रद्धालु, संत महात्माओं ने यज्ञ में आहुतियां डाली।
गीता महायज्ञ में यज्ञाचार्य पण्डित सोमदत्त एवं आचार्य मनीष मिश्रा द्वारा प्रतिदिन प्रातः 9 बजे गीता पूजन के साथ प्रथम अध्याय से 18 वें अध्याय तक के 700 श्लोकों से संत समाज एवं श्रद्धालुओं द्वारा दिन में तीन बार आहुतियां डाली जा रही है।
यज्ञ में आहुतियां डालते महामंडलेश्वर स्वामी विद्यागिरि जी महाराज के साथ संत समाज व श्रद्धालुगण।