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लैंगिक समानता पर बनी ’लेडी बर्ड’ को सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फिल्म , पुणे की ऐतिहासिक इमारतों की हालत पर बनी‘अधांतारित’ को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री पुरस्कार

गुल पनाग ने कहा“सिनेमाई कहानियां समाज को समझने और बदलने का माध्यम बन सकती हैं”

फरीदाबाद, 2 मई।
सुनील कुमार जांगड़ा.

मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ (एम आर आई आई आर एस m) के मीडिया और कम्युनिकेशन स्टडीज़ विभाग द्वारा आयोजित 11वें वार्षिक छात्र फिल्म समारोह ‘अवलोकन 2025’ ने एक बार फिर उभरते फिल्म निर्माताओं को अपनी आवाज़ और अंदाज़ पेश करने का मंच दिया।
इस वर्ष की थीम थी “अनसुनी, अनकही और गुमनाम”, और इस थीम के अंतर्गत शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और रील्स की श्रेणियों में आयोजको को देश भर से करीब 100 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। इन फिल्मों में सामाजिक न्याय, हाशिये के समुदायों की आवाज़ें, व्यक्तिगत यात्राएं और सांस्कृतिक विरासत जैसे विषयों को प्रभावशाली ढंग से दर्शाया गया।
शॉर्ट फिल्म श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार बेनट विश्वविद्यालय की शिवी गखेर की फिल्म ‘लेडी बर्ड’ को मिला, जिसमें बालिकाओं की शिक्षा और समान अवसरों की अहमियत को दर्शाया गया।
डॉक्यूमेंट्री श्रेणी में, डी.वाई. पाटिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की अनन्या कट्टी की फिल्म ‘अधांतारित’ को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री घोषित किया गया। इस फिल्म में पुणे के ऐतिहासिक भवनों की स्थिति पर रोशनी डाली गई।
रील्स श्रेणी में, मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल की देवांशी आहूजा और लावण्या लोगानी को उनकी प्रभावशाली कहानी कहने की शैली के लिए विजेता घोषित किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आई जी एन सी ए) के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने किया। उन्होंने कहा, “फिल्में समाज के अंत:करण की आवाज़ बन सकती हैं और सकारात्मक बदलाव का माध्यम बन सकती हैं।”
प्रसिद्ध अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता गुल पनाग, वरिष्ठ पत्रकार डेंजिल ओ’कोनेल के साथ संवाद में, सिनेमा की संवेदनशीलता बढ़ाने की भूमिका पर बात करते हुए बोलीं, “फिल्मों में हमारे डर, उम्मीदें और सोच को झकझोरने की ताकत होती है। वे बदलाव की चिंगारी जगा सकती हैं।”
मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों के उपाध्यक्ष डॉ. अमित भल्ला ने कहा, “अवलोकन एक ऐसा मंच है जहाँ छात्रों को नए प्रयोग करने और बेबाक अभिव्यक्ति की आज़ादी मिलती है।”
एम आर आई आई आर एस के कुलपति डॉ.संजय श्रीवास्तव ने कहा”हम ऐसे प्लेटफॉर्म को अकादमिक शिक्षण के विस्तार के रूप में देखते हैं। रचनात्मक अभिव्यक्ति आज के दौर में पहले से कहीं ज़्यादा प्रासंगिक है।”
यह आयोजन स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज़ एंड ह्यूमैनिटीज़ के अंतर्गत मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग और सेंटर फॉर मीडिया एंड कम्युनिकेशन द्वारा मिलकर आयोजित किया गया। कार्यक्रम की क्यूरेटर मानव रचना की चीफ क्रिएटिव ऑफिसर सुश्री जस्मिता ओबेरॉय थीं, जो रेडियो मानव रचना 107.8 एफएम की प्रमुख भी हैं।
स्कूल ऑफ़ मीडिया एंड हुमानिटीज़ की डीन, डॉ. शिल्पी झा ने कहा, “हमारा उद्देश्य एक ऐसा मंच बनाना है जहाँ नए विचार, कहानियाँ और दृष्टिकोण मिलकर अगली पीढ़ी के फिल्ममेकर्स और दर्शकों को प्रेरित करें।”
निर्णायकों की सूची में शामिल थे: डॉ. अनुज्ञान नाग, असिस्टेंट प्रोफेसर, एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर; अभिनेता व पटकथा लेखक अमिताभ श्रीवास्तव; फिल्मकार रुचिका नेगी; सोनी इंडिया के टेक्निकल कम्युनिकेशन हेड समीऱ अशरफ।
समापन सत्र के विशेष अतिथि और हम लोग के चर्चित अदाकार अभिनव चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे फिल्म समारोह युवाओं की प्रतिभा को दिशा देने और उन्हें आत्मविश्वास देने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को नई राहें तलाशने और अपने जुनून के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

By HUWeb

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