पहले चरण में 16 किलोमीटर की दूरी में लगाए जाएंगे एक लाख एक हजार पौधे
आमजन पर्यावरण संरक्षण और पॉलीथिन मुक्त अभियान में करे सहयोग
चंडीगढ़, 11 अगस्त।
सुनील कुमार जांगड़ा.
हरियाणा के वन, पर्यावरण एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण व वन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हरित हरियाणा-हरित गुरुग्राम बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निरंतर सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष वन महोत्सव के दौरान प्रदेशभर में 2 करोड़ 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वन विभाग का प्रयास रहेगा कि पौधारोपण के दौरान परिपक्व पौधे ही लगाए जाएं जो आगामी 5 व-10 वर्षों में पूरे पेड़ का रूप ले लें और सरकार के हरित हरियाणा हरित गुरुग्राम बनाने के लक्ष्य को चरितार्थ कर दे।
राव नरबीर सिंह आज वजीरपुर फर्रुखनगर रोड स्थित केएमपी एक्सप्रेसवे के नजदीक वन विभाग द्वारा आयोजित 76वें जिला स्तरीय वन महोत्सव कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 135 किलोमीटर लंबा केएमपी एक्सप्रेस वे हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं ढांचागत विकास की एक महत्वपूर्ण संपत्ति है इसको हरित एक्सप्रेस वे बनाना उनका लक्ष्य है। पहले चरण में मानेसर से फर्रुखनगर तक लगभग 16 किलोमीटर की दूरी में कुल एक लाख एक हजार पौधे लगाने की शुरुआत की गई है।
उन्होंने कहा कि देश में 1950 से वन महोत्सव का आयोजन होता आ रहा है। हरियाणा प्रदेश में पूर्व में यह कार्यक्रम कुछ चिह्नित जिलों तक सीमित था, लेकिन मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के दिशा-निर्देशों के तहत वर्ष 2025 से इसे प्रदेश के सभी 22 जिलों में व्यापक स्तर पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। वन मंत्री ने कहा कि हरियाणा में वन क्षेत्र अत्यंत सीमित है, जो चिंता का विषय है। सौभाग्यवश, दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली और नवीनतम श्रृंखला शिवालिक हरियाणा से होकर गुजरती हैं, जो प्रदेश के लिए ऑक्सीजन की एक महत्वपूर्ण लाइफलाइन हैं।
उन्होंने कहा कि बरसात के बाद 15 सितंबर से क्षेत्र में विकास कार्य पुनः सक्रिय रूप से शुरू होंगे। साथ ही, उन्होंने लोगों से गुरुग्राम में जारी पॉलीथिन मुक्त अभियान में सक्रिय भागीदारी का भी आग्रह किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री ने हरियाणा वन विकास निगम लिमिटेड द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘खेजड़ी एवं रोहिड़ा’ का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर विधायक तेजपाल तंवर, मुकेश शर्मा व श्रीमती बिमला चौधरी, हरियाणा वन विकास निगम के एमडी केसी मीणा, गुरुग्राम वन संरक्षक सुभाष यादव, डीएफओ राजकुमार, सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
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हिसार जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के डिविजनल ऑफिसर पर लगाया जुर्माना
एक्सईएन और एसई को दी चेतावनी
चंडीगढ़, 11 अगस्त — हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के एक डिविजनल ऑफिसर-कम-सब डिविजनल इंजीनियर पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत 3 हजार रुपये का सांकेतिक जुर्माना तथा शिकायतकर्ता को 3 हजार रुपये का सांकेतिक मुआवजा देने के आदेश जारी किए हैं। यह कार्रवाई समय-सीमा में सेवा उपलब्ध न कराने और शिकायत के प्रभावी निवारण में लापरवाही बरतने पर की गई है।
हिसार निवासी शिकायतकर्ता ने आयोग को शिकायत में बताया कि वह और उनका परिवार न केवल इस वर्ष, बल्कि पिछले वर्ष की गर्मियों में भी जलापूर्ति के अभाव से गंभीर रूप से प्रभावित हुए। पिछले वर्ष आयोग के हस्तक्षेप से पाइपलाइन बदली गई थी, लेकिन इस वर्ष अप्रैल, मई और जून—इन तीन महीनों में व्यावहारिक रूप से पानी की आपूर्ति नहीं हुई, जिसके कारण उन्हें पीने का पानी बाजार से खरीदना पड़ा। शिकायतकर्ता ने कहा कि एक्सईएन और एसई द्वारा अपील का निपटारा गलत तरीके से और बिना सुनवाई का अवसर दिए किया गया। उन्होंने आयोग से निवेदन किया कि उनके घर में निर्धारित मानकों के अनुसार जलापूर्ति सुनिश्चित कराई जाए, क्योंकि पानी किसी भी व्यक्ति के लिए मूलभूत आवश्यकता है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया आयोग ने जांच में पाया गया कि संबंधित अधिकारी ने आरटीएस अधिनियम में निर्धारित समय-सीमा से बाहर सेवा पूरी दिखाई तथा शिकायत का निवारण किए बिना ही उत्तर प्रेषित किया। प्रवक्ता ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व में विभाग के सभी संबंधित अधिकारियों को शिकायतों के प्रभावी निपटान हेतु प्रशिक्षण दिया गया था, इसके बावजूद अपीलों का निपटारा न सुनवाई के साथ किया गया और न ही आवश्यक कार्रवाई की गई।
इस मामले में आयोग ने आदेश दिया है कि उक्त राशि संबंधित अधिकारी के अगस्त 2025 के वेतन से काटकर सितंबर 2025 में राज्य कोष में जमा कराई जाए तथा मुआवजा शिकायतकर्ता को प्रदान किया जाए। इसके साथ ही, विभाग के एक्सिक्यूटिव इंजीनियर तथा सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर को भी सख्त चेतावनी जारी की गई है कि भविष्य में अपीलों का निपटारा अधिनियम के अनुरूप समयबद्ध तरीके से किया जाए। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई जाती है, तो इस मामले को उस समय के मामले के साथ जोड़कर विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
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आईटीआई प्रमाणपत्र धारकों के लिए हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला
एक साल की अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को माना जाएगा कार्य अनुभव
चंडीगढ़, 11 अगस्त।
सुनील कुमार जांगड़ा.
हरियाणा सरकार ने प्रदेश में आईटीआई प्रमाणपत्र धारकों के लिए रोजगार अवसर बढ़ाने के मकसद से बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश में अब विभिन्न विभागों व संगठनों में रोजगार के उद्देश्य से एक वर्ष या उससे अधिक अवधि के अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण को एक वर्ष के कार्य अनुभव के बराबर माना जाएगा। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में कौशल आधारित प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं के व्यावहारिक अनुभव को मान्यता मिल सकेगी।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा इस सम्बन्ध में जारी एक पत्र में कहा गया है कि एक वर्ष या उससे अधिक के अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण को उन प्रशिक्षुओं के लिए कार्य अनुभव माना जाएगा, जिनके पास अप्रेंटिसशिप नियम 1992 की अनुसूची-1 के अंतर्गत आईटीआई की योग्यता है और जिनके पास राष्ट्रीय शिक्षुता प्रमाणपत्र है। संबंधित क्षेत्र के सीधी भर्ती के पदों के लिए इसे एक वर्ष का अनुभव माना जाएगा, जहाँ शैक्षणिक योग्यता के अतिरिक्त, किसी पद के लिए पात्रता मानदंड में अनुभव का प्रावधान भी किया गया है।
यह निर्णय निर्देश जारी होने की तिथि से प्रभावी होगा और इससे आईटीआई स्नातकों की रोजगार संभावनाएं मजबूत होंगी। सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, मिशन प्राधिकरणों, विश्वविद्यालयों और अन्य राज्य नियंत्रित संस्थानों को अपने सेवा नियमों और विनियमों में संशोधन करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि एनएसी धारक अभ्यर्थियों को उनके अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण का उचित लाभ मिल सके। यह निर्णय केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के निर्देशों के अनुरूप किया गया है।