
नई दिल्ली/वृंदावन.27 अप्रैल।
सुनील कुमार जांगड़ा.
गौभक्त संजीव कृष्ण ठाकुर जी (श्रीधाम वृंदावन) द्वारा आयोजित आज का भगवद् चिंतन में संकल्प और पुरुषार्थ पर आधारित विशेष अंश: उन्होंने कहा कि वाणी के बजाय कार्य से दिए गए उदाहरण कई अधिक प्रभावी होते हैं। उपदेश करना जितना आसान है उन्हें आचरण में धारण करना उतना ही कठिन है। कोरा उपदेश भी तब तक कोई काम नहीं आता जब तक उसे चरितार्थ न किया जाये। प्रत्येक सफल व्यक्तियों में एक बात की समानता मिलती है और वो ये कि उन्होंने केवल वाणी से नहीं अपितु अपने कार्यों से भी उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। उन्होंने जो कहा वही किया।
बिना पुरुषार्थ के हमारे महान से महान संकल्प भी केवल रेत के विशाल महल का निर्माण करने जैसे हो जाते हैं। हमारे पास संकल्प रूपी मजबूत आधारशिला तो होनी ही चाहिए पर साथ में पुरुषार्थ रूपी पिलर भी होने चाहिए, जिस पर सफलता रुपी गगनचुम्बी महल का निर्माण संभव हो सके। संकल्प और पुरुषार्थ ही किसी व्यक्ति के जीवन में सफलता का रहस्य है।