
वृन्दावन/नई दिल्ली.15 अप्रैल।
सुनील कुमार जांगड़ा.
गौभक्त संजीव कृष्ण ठाकुर जी (श्रीधाम वृन्दावन) ने आज भगवत चिंतन में कहा कि जीवन को अनुशासन में जिया जाना चाहिए। पानी अनुशासन हीन होता है तो बाढ़ का रूप धारण कर लेता है। हवा अनुशासन हीन होती है तो आँधी बन जाती है और अग्नि यदि अनुशासन हीन हो जाती है तो महा विनाश का कारण बन जाती है। अनुशासनहीनता स्वयं के जीवन को तो विनाश की तरफ ले ही जाती है साथ ही साथ दूसरों के लिए भी विनाश का कारण बन जाती है।
अगली कड़ी में उन्होंने बताया कि अनुशासन में बहकर ही एक नदी सागर तक पहुँचकर सागर ही बन जाती है। अनुशासन में बँधकर ही एक बेल जमीन से ऊपर उठकर वृक्ष जैसी ऊँचाई को प्राप्त कर पाती है और अनुशासन में रहकर ही वायु फूलों की सुगंध को अपने में समेटकर स्वयं सुगंधित होकर चारों दिशाओं को सुगंध से भर देती है। गाड़ी अनुशासन में चले तो यात्रा का आनंद और बढ़ जाता है। इसी प्रकार जीवन भी अनुशासन में चले तो जीवन यात्रा का आनंद भी बढ़ जाता है।