स्वामी अमित देव बोले—योग ही वह आधार है जो ज्योतिष को दिशा और वास्तु को स्थिरता देता है
मुख्य अतिथि वासुदेव देवानी, स्वामी पद्मनाभदेवाचार्य महाराज व डॉ. मेघा शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति


जयपुर.24 दिसंबर।
सुनील कुमार जांगड़ा..
प्राचीन वैदिक विज्ञानों को आधुनिक जीवन से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में अलमाइटी इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजी कॉन्क्लेव (एआईएसी) सीजन-2 का जयपुर में भव्य शुभारंभ हुआ। ऑलमाइटी इंटरनेशनल द्वारा इंटरनेशनल वास्तु अकादमी के सहयोग से आयोजित यह राष्ट्रीय स्तर का आयोजन योग, ज्योतिष और वास्तु के समन्वित प्रयोग को जन-जीवन से जोड़ने का प्रभावी मंच बना।
कॉन्क्लेव में श्री योग अभ्यास आश्रम ट्रस्ट की सहभागिता आयोजन का विशेष आकर्षण रही। वर्ष 1888 से निरंतर मानव-सेवा में संलग्न यह संस्था भारत की प्राचीन योग परंपराओं में अग्रणी मानी जाती है। योग योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी महाराज की परंपरा में एस वाई ए ए टी योग को केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, मानसिक संतुलन और सामाजिक कल्याण का मार्ग मानती है। संस्था का उद्देश्य योग को बिना किसी व्यावसायिक दृष्टिकोण के समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना है।
स्यात के प्रधान योगाचार्य स्वामी अमित देव की गरिमामयी उपस्थिति ने पूरे कॉन्क्लेव को एक स्पष्ट योग-आध्यात्मिक दिशा प्रदान की। अपने संबोधन में स्वामी अमित देव ने कहा कि योग वह मूल विज्ञान है जो व्यक्ति को भीतर से संतुलित करता है और तभी ज्योतिष एवं वास्तु का सकारात्मक प्रभाव जीवन में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति स्वयं योगिक रूप से संतुलित होता है, तभी ग्रह, ऊर्जा और परिवेश उसके लिए अनुकूल बनते हैं। स्वामी अमित देव ने वर्तमान तनावपूर्ण जीवन-शैली पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि योग ही वह माध्यम है जो व्यक्ति, परिवार और समाज—तीनों को स्वस्थ और स्थिर बना सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वासुदेव देवानी की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ाया। देशभर से आए ज्योतिषाचार्य, वास्तु विशेषज्ञ, योगाचार्य, आध्यात्मिक गुरु और ओकल्ट साइंस विशेषज्ञों ने मंच को वैचारिक रूप से समृद्ध किया। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. रोशनी टाक, स्वामी अमित देव, अनूपम जॉली, पं. अशोक दीक्षित, महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी पद्मनाभदेवाचार्य महाराज, पं. ज्योति शर्मा, डॉ. विनोद शर्मा, पं. सतीश शर्मा एवं डॉ. मेघा शर्मा द्वारा किया गया।
स्वागत भाषण में एआईएसी की संस्थापक डॉ. मेघा शर्मा और पेट्रोन पं. सतीश शर्मा ने कहा कि इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य वैदिक विज्ञानों को केवल भविष्य-वाणी तक सीमित न रखते हुए, योग के माध्यम से जीवन-परिवर्तन का प्रभावी साधन बनाना है। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी पद्मनाभदेवाचार्य महाराज के आध्यात्मिक उद्बोधन ने साधना, संयम और आत्म-अनुशासन के महत्व को रेखांकित किया।
मेडिटेशन मंत्र सत्र में सामूहिक ध्यान के माध्यम से पूरा वातावरण योगिक ऊर्जा से भर उठा। महिला ज्योतिष ऑरा सत्र में इस तथ्य पर विशेष बल दिया गया कि आज की नारी के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन में योग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। “फ्यूचर ऑफ इंडिया” और “वास्तु – एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण” जैसे सत्रों में भी योग को चेतना-विकास और जीवन-प्रबंधन का आधार बताया गया।
सायंकालीन सम्मान समारोह, म्यूजिकल नाइट और नेटवर्किंग सत्रों के साथ एआईएसी सीजन-2 के प्रथम दिवस का सफल समापन हुआ। यह आयोजन इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि जब ज्योतिष और वास्तु को योग की आधारशिला पर स्थापित किया जाता है, तभी वे मानव-कल्याण के वास्तविक साधन बनते हैं—और इस दिशा में SYAAT एवं स्वामी अमित देव की भूमिका मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत के रूप में उभरकर सामने आई।