
भारत/नाटिंघम ,यू.के.02 जून।
सुनील कुमार जांगड़ा.
गौभक्त श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी द्वारा नाटिंघम ,यू.के.में भगवत चिंतन के दौरान संबोधन में कहा कि यदि हम साबित करने की अपेक्षा सुधार पर ध्यान देते हैं तो जीवन में अपने आपको अधिक तनावमुक्त एवं प्रसन्न रख पायेंगे। कई बार भले ही हम गलत नहीं होते हैं, लेकिन उसको साबित करने में ही हमारी सारी मानसिक उर्जा का अपव्यय हो जाता है। इससे हमारे भीतर एक खिन्नता का भाव जन्म लेता है और यही खिन्नता हमारी अप्रसन्नता का कारण भी बन जाती है।
यही अप्रसन्नता हमारे मन को कोलाहल से भर देती है और भीतर का यही कोलाहल हमारे बाहरी जीवन में भी अशांति का कारण बन जाता है। यदि हमारे द्वारा कुछ गलती हो भी जाती है तो उसके अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन गलती के कारणों को गिनाने की अपेक्षा उन कारणों को मिटाने का प्रयास करना ही अपने आप में सुधार की दिशा में रखा गया पहला और महत्वपूर्ण कदम भी है।