
फरीदाबाद.21 अप्रैल।
वंदना.
प्रेरक वक्ता एवम् अधिवक्ता परवीन कुमार प्रजापति ने कहा कि बिना रिस्क के जीत नहीं और बिना हार के कोई कहानी नहीं:उन्होंने आगे बताया कि बिना जोखिम लिए कभी कामयाबी की उम्मीद मत करना दोस्तों क्योंकि रिस्क कभी बेकार नहीं जाता या तो जीतेंगे या फिर सीखेंगे लेकिन कामयाब होकर रहेंगे। रिस्क न लेना कोई बुराई नहीं है परन्तु बुराई हाथ पर हाथ रख कर बैठने में है। जीवन की हर असफलता कोई ना कोई प्रेरणा दे कर जाती है जो आपको बेजोड़ बनाती है हर कोशिश में जीत नहीं होती परन्तु लगातार कोशिश करना आपको जीतने के लिए मजबूर कर देता है और हारते हारते आपके इतिहास की नई कहानी बन जाती है अगर जरूरत है तो खुद से लड़ने की खुद को बेहतरीन बनाने की। जो जितना रिस्क उठाता है उसके कामयाब होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि मेहनत का नशा उसकी रग रग में समाया होता है। कहानी भी उन्हीं की बनती है जो हार से निराश नहीं बल्कि सबक लेते हैं नया अनुभव प्राप्त करते हैं उसको अपने काम में इंप्लीमेंट करते हैं और यही उनकी अनमोल पूंजी होती है जो उन्हें साहस और रिस्क के बदले में प्राप्त होती है।सोच जितनी बड़ी होती है कामयाबी के रास्ते उनके लिए जल्दी खुल जाते हैं।जीवन खुद एक जोखिम है इसको केवल मेहनत और ऊंची सोच से ही जीता जा सकता है। सफलता के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं होती। कभी भी कोई भी और कहीं भी अपने जुनून और मेहनत के दम पर कुछ भी हासिल कर सकता है। हेनरी फोर्ड ने सिक्सटी फाइव की उम्र में अपनी फैक्ट्री को धुएं में उड़ते हुए देखा जो कि उसके जीवन भर की कमाई थी और दिवालिया हो गए इसेवलंटी इयर्स की उम्र में फोर्ड कार की कंपनी बनाई जो संसार में आज एक बहुत बड़ा कार का ब्रांड है। बेहतर से बेहतर की तलाश करो, मिल जाए नदी तो समुंदर की तलाश करो, टूट जाते हैं शीशे पत्थर की चोट से, टूट जाए पत्थर ऐसे शीशे की तालाश करो।