फरीदाबाद.18 जून।
सुनील कुमार जांगड़ा.
डॉ० सुप्रिया ढांडा लेखिका प्रख्यात इतिहासविद् एंव प्रखर वक्ता है और हरियाणा सरकार के स्टेट अवार्ड “आउटस्टेडिंग वुमेन अचीवर” से पुरस्कृत है।
अगली कड़ी में रविवार प्रख्यात लेखिका डॉ० सुप्रिया ढांडा ने लिखा कि:
बाग के माली चुप हो तुम तो अब पौधे किस से बात करेंगे ।
पापा जाते हुए ना सोचा बच्चे किससे बात करेंगे !!
रुकी हुई कलाई घड़ी, केलकुलेटर और बिखरे गल्ले के पैसे
खाली पड़ी कुर्सी, बिल-बुक सब किससे बात करेंगे ।
आप समझाते थे वो जो मां नही समझाती थी
सारी उलझनें, अंतर तमाम अब किससे बात करेंगे ।
इनाम ले भागी आती थी कि आप शाबाशी दोगे
बिखरे पड़े सब ये मेडल किससे बात करेंगे ।
रात का पहरा बनकर आप जागते रहते थे
घर के दरवाजों के ताले अब किससे बात करेंगे ।
गहन उदासी फैली है घर में, मां एक वक़्त ही खाती है
मीठे-तीखे सारे पकवान किससे बात करेंगे।
अपनी प्यारी बिटिया की सारी ज़िद पूरी करते थे
घर भर के सब सपने अधूरे अब किससे बात करेंगे।
मां की सूनी कलाइयां इतना भर पूछे
चूड़ी, कंगना, मेहंदी, बिंदिया किससे बात करेंगे ।
तर्जनी के इशारे से दूर गंतव्य दिखाते थे
भूले भटके कठिन मार्ग अब किससे बात करेंगे ।
आपके घर आते ही सब कहानियां सुनाने बैठ जाती थी
बिटिया की डायरी के पन्ने सब किससे बात करेंगे ।
आपके जूते नही छुपाती, अब नही पहनती अपने पैरों में
ब्रीफकेस, चश्मा, शेविंग का सामान किससे बात करेंगे ।
जिनके पीछे छुपकर परेशानियां सभी गुम हो जाती थी
ऊपर वाले कमरे के पर्दे अब किससे बात करेंगे ।
बिटिया ने सब्जी बनाई तो एक रोटी ज्यादा खाते थे
नमक-मिर्च की मात्रा के जायके अब किससे बात करेंगे ।
एक प्यारी सी शर्त लगाकर मुझे ही जीता देते थे
हंसी-ठहाके, पुराने गाने सब किससे बात करेंगे।
पापा आप तो अम्बर में अब तारा बनकर बैठ गए है
आपकी आंखों के ये दो तारे अब किससे बात करेंगे ।
पापा जाते हुए ना सोचा बच्चे किससे बात करेंगे ।
बाग के माली चुप हो तुम तो पौधे किससे बात करेंगे।